अगर मैं अपनी बात करूँ, तो लोगो का यह कहना की हम औरतों को देवी समान मानते है, मुझे यह किसी वाहियाद बात से ज्यादा कुछ नज़र नहीं आती ख़ास तौर पर जब बात महिलाओं के हक़ की हो, उनकी आजादी के बारे में हो। इसी के साथ यह और बुरा हो जाता है जब कोई औरत ख़ास तौर पर जब कोई पारंपरिक महिला इस बात पर यकीन कर लेती है कि वह एक देवी समान है। क्यूंकि यह एक बहुत ही सुंदर दिखने वाले पिंजरे से ज्यादा कुछ भी नहीं, इस पिंजरे को आप दुनियाँ का सबसे खूबसूरत पिंजरा भी कह सकते है लेकिन दुनियाँ का सबसे ज्यादा खूबसूरत पिंजरा भी आपको आपकी आजादी नहीं दे सकता, आपको आजादी के लिए न चाहते हुए भी इस पिंजरे को तोडना तो होगा ही। और अगर यह पिंजरा कुछ दे सकता है तो वह बस कुछ छड़ कि ख़ुशी लेकिन उसके लिए भी आपको अपनी आजादी दाव पर लगानी होगी। पहले जब महिलायें अपने अधिकार और अपनी स्वतन्त्रा के बारे में ज्यादा नहीं सोचा करती थी तब वह सब इस पिंजरे में ही रहा करती थी लेकिन आज खासकर हिन्दुस्तान में जब महिलाओं ने अपने अधिकार और अपनी स्वतंत्रता पर गौर करना शुरू किया और जब अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना शुरू किया तब ज्यादातर महिलाओं के लि...