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वेश्या !



जरूरी बात

यहाँ "वेश्या" शब्द को उपयोग केवल महिलाएँ के लिए नहीं किया गया, यहाँ वेश्या शब्द से पुरुष, महिला, और अन्य सभी सेक्स वर्कर्स को दर्शाया गया है और वेश्या शब्द को इसलिए उपयोग किया गया है क्यूँ कि यह समाज सदियों से इज़्ज़त को औरतों के कंदो पर डालता आया है।


जब में लोगों देखता हूँ वेश्याओं को एक अलग ही गन्दी नज़रों से देखते हुए, उन्हें समाज द्वारा न अपनाते हुए, उनकी इज़्ज़त न करते हुए तो सोचता हूँ आखिर क्या है इस जिस्म में, जो लोगों के मन में वेश्याओं के प्रति इज़्ज़त को पूरी तरह मिटा देता है। कई सवाल उठते है मन में, ऐसे सवाल जिनके जवाब की तो छोड़ो उन सवालों को ही समझना मुश्किल पड़ता है।
मन में एक ख़्याल अक्सर आता है की क्या इस पृथ्वी पर हर एक जीवित चीज इस मुकाम पर नहीं पहुँचना चाहता। आप दो प्रेमियों को ही देख लीजिए आपको नहीं लगता यह दोनों सम्भोग की और खींचें चले जा रहे है। दो लोग शादी करना चाहते है जिससे वह समाज में अपनी इज़्ज़त बनाए रखे ही सम्भोग का पूरा आनंद ले सके। आप मेरी बात को गलत मत ले जाइए; मुझे पता है प्रेम केवल सम्भोग के बारे में नहीं है और यह हो भी नहीं सकता क्यूंकि सम्भोग तो केवल एक कार्य है और प्रेम व्यवहार है। लेकिन इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता की दो प्रेमी सम्भोग की और खिंचे चले जा रहे है। इसी के साथ आपको नहीं लगता सम्भोग की वजह से किसी से रिश्ता तोड़ लेना प्रेम और सम्भोग के बीच के अंतर को और ज्यादा कम नहीं कर रहा?
दो प्रेमी ही क्यूँ, हर एक जीवित चीज सम्भोग का स्वाद चखने की तमन्ना रखती है और साथ ही, यह प्राकृतिक है और एक दम शुद्ध भी। हर एक प्राणी या जीवित चीज़ का जीवन शंभोग से ही तो संभव है। साथ ही यह इतना प्राकृतिक और शुद्ध है की एक उम्र के बाद हर प्राणी इसे कैसे करना है खुद सीख जाता है। किसी और चीज़ की तरह सीखने की ज़रुरत नहीं पड़ती। तो आख़िर क्यूँ इतनी प्राकृतिक और शुद्ध चीज़ वेश्याओं के लिए शाप का काम करता है?
मुझे आप का जवाब पता है बहुत ही आसान है "वेश्याएं पैसों के लिए किसी से भी सम्भोग कर लेती है" इस वाक्य में दो शब्द है "किसी से" और "पैसा" जो समाज से वेश्याओं के प्रति इज़्ज़त को बहुत वक्त से मिटाते आ रहे है। "किसी से" एक ऐसा शब्द जिसमे से भेदभाव की बू आती है, एक ऐसा शब्द जो अज्ञानता को दर्शाता हो, जो लोगों को बाँटना हो। और दूसरा "पैसा", एक ऐसा शब्द जिसका खुद का कोई वजूद ही न हो। 

वेश्याएं किसी से भी सम्भोग कर लेती है -


दो एक दम अनजान लोग थे, दोनों मिले और उनमे प्यार हो गया, और कुछ समय बाद उन दोनों ने शादी भी कर ली, और फिर उन दोनों के बच्चे हुए।  दो और अनजान लोग थे, उन दोनों में प्यार हुआ, और कुछ समय बाद उन दोनों ने भी शादी कर ली, और उन दोनों के भी बच्चे हुए। दो और अनजान लोग थे, वह दोनों भी किसी वजह से मिले और उन दोनों में भी प्यार हुआ फिर शादी और फिर उन दोनों के भी बच्चे हुए। यह तीनों कहानियाँ एक जैसी है, लेकिन है अलग अलग और ऐसी ही अनंत कहानियाँ हैं जो सुनने में इन कहानियों से बिलकुल अलग नहीं है, लेकिन हैं अलग अलग कहानियाँ। 

इन सब कहानियों में शायद आपने एक बात पर ग़ौर न किया हो की सब शुरुआत में अनजान थे; तो इससे यह साबित तो हो गया की दिक्कत "किसी से" शब्द में नहीं हैं, अगर दिक्कत हैं तो वो हैं उस वक्त में जो एक अनजान से अपना बनने में लगता हैं।  वेश्याएं बस सम्भोग के लिए अपने होने तक इंतजार नहीं किया करती या यूँ कहें की वह पल भर में किसी को भी अपना बनाने की काबिलियत रखती हैं वरना किसी से भी सम्भोग तो सब ही कर रहे हैं क्योंकि यह सम्भोग एक तीव्र इच्छा हैं भावना नहीं-एक ऐसी इच्छा जो हर किसी में पायी जाती हैं ।

वेश्याएं पैसों के लिए सम्भोग करती हैं -


मैं अक्सर सोचता आखिर क्या हैं इस इंसानी देह में जो दो प्रेमियों को अलग करने की ताकत रखती हैं, जो पति-पत्नी के जोड़े को तोड़ने की ताकत रखती हैं, जो एक इन्सान की इज़्ज़त को उछालने की ताकत रखती हैं, वेश्या को समाज से धकेलने की ताकत रखती हैं, आखिर क्या हैं इस देह में? और इस सवाल के जवाब की तो छोड़ो मैं अक्सर सोचता रहता की आखिर यह सवाल, सवाल हैं भी या नहीं?

लोग खुद को और वेश्याओं को अलग इसलिए मानते क्योंकि वह पैसों के लिए सम्भोग करते हैं और बाकी बिना पैसों के। पर असल में पैसों का अपना कोई अस्तित्व ही नहीं हैं क्योंकि पैसों का अस्तित्व केवल हमारी ज़रूरतों से बनता हैं। आप अपनी सारी ज़रूरतों को कुछ समय के लिए एक तरफ रख कर देख लीजिए, पैसों का वजूद वहीं पूरी तरह मिट जायेगा।

आप को नहीं लगता हर एक मनुष्य और जीवित प्राणी किसी न किसी जरूरत के लिए ही सम्भोग कर रहा हैं, कोई शरीर की ज़रुरत के लिए, कोई प्रेम ज़ाहिर करने के लिए, कोई अपना तनाव दूर करने के लिए, कोई अपनी पीढ़ी बढ़ाने के लिए तो कोई अपना पेट की भूख को मिटाने के लिए। 

तो, असल में, इस शरीर में तो कोई ताकत हैं ही नहीं कुछ हैं तो वो मनुष्य की अज्ञानता हैं जो इस दुनियाँ को बाँटने में व्यस्त हैं, देशों में, राज्यों में, शहरों और गाओं में, धर्मों में, जातियों में, छोटे-बड़े, उच-नीच में। 


मैं बस यह कहने की कोशिश कर रहा हूँ की वेश्या किसी का चुनाव हो सकता हैं या किसी की मजबूरी, लेकिन यह दूषित नहीं हो सकता। यह काम भी आपके काम की तरह शुद्ध हैं और अगर नहीं तो आप को काम भी उनके काम की तरह दूषित हैं। तो न तो वेश्या शब्द को किसी गाली की तरह उपयोग करना सही है और न ही उन्हें आंकना।


- धन्यवाद
For Reading this article in English Click here.

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